दम तोड़ती जाबाली योजना
धुन के पक्के हैं ये बच्चे
मुरैना से लौटकर
रूबी सरकार
भोपाल | 19 साल पहले बने मध्यप्रदेश सरकार की जाबाली योजना आज दम टूटने के कगार पर खड़ी है | देह व्यापार को मजबूर बाछड़ा जाती के लिए बने इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के केवल 650 को ही यह लाभ मिल रहा है | बाछड़ा जाती को देह व्यापार की जलालत से उबारने के लिए हाई कोर्ट के आदेशनुसार लगभग दो दशक पूर्व प्रारंभ की गयी थी | जिसे चार चरणों में लागू किया जाना था, लेकिन प्रथम चरण से आगे यह योजना बढ़ नहीं पाई और संसाधनों की कमी और सुरसा की तरह बढ़ती महंगाई के कारण यह योजना दम तोड़ रही है | इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने जो योजना बनाई है, उसकी पहली चरण की राशि इतनी कम है कि आश्रम में रह रहे बच्चों कि सारी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती, तो देह व्यापार के खिलाफ जन चेतना कैसे जाग्रत कर सकते हैं | यदि वास्तव में पूरी सरकार इनका भला करना चाहती है, तो उन्हें सहायता राशि और बच्चों के लिए आश्रम शिक्षा की व्यवस्था बढ़ानी होगी | साथ ही दो दशक पूर्व बने इस नीति पर पुर्नवालोकन आवश्यक है, ताकि यह योजना दम तोड़ने से और अपने उद्देश्यों में सफल हो सके |
केस – 1: अभ्युदय आश्रम में हाई स्कूल के विद्यार्थी शिल्पा छारी राज्यस्तरीय खिलाड़ी हैं | विमुक्त जाति की शिल्पा खो-खो और कबड्डी स्पर्धा में विजेता टीम की हिस्सा रही हैं | वह आगे भी इसी खेल में अपना और देश का नाम रोशन करना चाहती है | पर ऐसा तभी संभव होगा, जब सरकार उसकी मदद करे |
केस – 2 : इसी आश्रम की हेमा छारी बीए अंतिम वर्ष की विद्यार्थी है | वह हरफनमौला खिलाड़ी है | खो-खो, कबड्डी तथा कराटे की राष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ-साथ हेमा पढ़ाई में भी अव्वल है | वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है | 26 जनवरी के परेड का वह नेतृत्व कर चुकी है | भविष्य में अपनी प्रतिभा में और निखार लाने के लिए वह निरंतर प्रयास कर रही है |
केस -3: अभ्युदय आश्रम का ही अजीत छारी टी.आर. गाँधी पब्लिक स्कूल में 8 वीं कक्षा का विद्यार्थी है | पर उसका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता | वह क्रिकेटर बनना चाहता है | और इसी खेल के उस्ताद सचिन तेंदुलकर को आदर्श मानता है | वह मुंबई जाकर सचिन तेंदुलकर से हाथ भी मिला चुका है | अभ्युदय आश्रम के पास इतना साधन नहीं है, कि उसे अच्छा क्रिकेटर बना सके | भोपाल | शिल्पा, हेमा, अजीत की तरह श्रद्धा, नेहा, पूजा जैसी सैंकड़ो बालक-बालिकाएं है, जो जुडो, कबड्डी, खो-खो, वेटलिफ्टिंग और कराटे में अपना भविष्य तलाश रहे हैं | ये सभी देह व्यापार में लिप्त रही महिलाओं के बच्चे हैं, जो मुरैना स्तिथ अभ्युदय आश्रम में रहकर स्वस्थ वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | हालाँकि, आश्रम के पास इतना साधन नहीं हैं, कि वे इन बच्चों की परवरिश के साथ साथ इन्हें वह सारी सुविधा मुहैया करा सकें, जिससे वे अच्छे खिलाड़ी बनकर देश का नाम रोशन कर सकें | आश्रम में तीन से लेकर 20 वर्ष तक के बच्चे हैं, जो छोटी-छोटी कक्षाओं में बंटकर पढ़ाई करते हैं | यहां शिक्षक सीमेंट की चादर पर खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर बच्चों को पढ़ाते हैं और बच्चे चटाई पर बैठक शिक्षा ग्रहण करते हैं | सिर्फ १०वीं कक्षा पक्की छत वाले कमरे में चलता है | स्कूल का समय समाप्त होने के बाद यहीं बच्चों के बिस्तर लग जाते हैं | आश्रम के आसपास कोई बड़ा स्टेडियम भी नहीं हैं | आश्रम की चार दीवारी के भीतर छोटे से मैदान में ये बच्चे अभ्यास करते हैं | इस आश्रम में 216 बच्चे रहते हैं | जिनमें 194 बच्चे राज्यस्तरीय और 37 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं | इन बच्चों के सपने जितने हसीन हैं, उन्हें पूरा कर पाना उतना ही मुश्किल है |
ऊंट के मुंह में जीरा …….
देह व्यापार के वातावरण से बेड़ियाँ, बांछड़ा, सांसी जातियों के बच्चों को दूर रखकर आश्रम पद्यति से शिक्षा एवं संस्कार प्रदान करने के उद्देश्य से जाबाली योजना की शुरुआत उच्च न्यायलाय के आदेश के पालन में प्रदेश सरकार द्वारा १९९२ में की गयी थी | एक लाख से अधिक आबादी वाली इन जातियों के बच्चों के लिए प्रदेश में मुरैना जिले में स्थित विमुक्त जाति अभ्युदय संघ, सागर और छतरपुर जिलों में सत्यशोधन आश्रम, उज्जैन में महिला सरंक्षण एवं विकास समिति, राजगढ़ में अम्बेडकर शिक्षा प्रचार एवं प्रोत्साहन समिति, एवं रायसेन में डॉ. अम्बेडकर सर्वोदय विकास समिति से केवल 650 बच्चे ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | शासन की ओर से प्रति बच्चे शिष्यवृत्ति 250/- निर्धारित की गयी है, जिसमें से 200/- भोजन के लिए और 10/- प्रति बच्चे कि दर से अधीक्षक के पास एक अलग कोष में जमा किए जाने का प्रावधान है | यह राशि विद्यार्थियों की आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ती के अलावा कपड़े, साबुन एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए है | खेलकूद सामग्री के लिए प्रति आश्रम 4500/- शासन द्वारा दिए जाने का प्रावधान है | महंगाई को देखते हुए यह राशि ऊंट के मुंह में जीरे समान ही है | परंपरागत रूप से देह व्यापार में लिप्त समुदायों का मामला रित याचिका एमपी 427/89 के तहत अभ्युदय आश्रम चलाने वाले श्री रामस्नेही ने उठाया था ओर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा प्रस्तुत कर देह व्यापार समाप्त करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की थी | लेकिन सरकार तो दूर, आज तक किसी भी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में देहव्यापार समाप्त करने की बात नहीं की |
जाबाली योजना की बैठक …..
विमुक्त जाति अभ्युदय संघ के अध्यक्ष श्री रामस्नेही का कहना है, कि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने और बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए सन् 1993 में राज्यस्तरीय वेश्यावृत्ति उन्मूलन समिति का गठन किया गया था | इसकी चार बैठकें हुई और जो प्रस्ताव मान्य किए गए, उसे अभी तक लागू नहीं किया | आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष श्री साहनी ने संबंधित अधिकारीयों की बैठक ली और निर्णय लिया, कि इस समाज और इनके बच्चों के उत्थान के लिए एक अभिकरण बनाया जाए, जिसका अध्यक्ष इसी समाज का कोई व्यक्ति हो तथा संबंधित विभागों के अधिकारी और कम से कम पांच सदस्य इसी समाज के हों | इसे राज्यपाल के आदेश से स्वीकृति भी मिल गई, लेकिन शासन ने पहल करने में भी रूचि नहीं दिखाई | सन् 1996 में बेडिया, बांछड़ा सलाहकार विकास मंडल का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष चम्पा बहन हैं | इसकी भी कई बैठकें हुई | महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित भी हुए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ | सन् 1998 में भारत सरकार के निर्देश पर राज्यस्तरीय समन्वय समिति का गठन हुआ, जिसके प्रदेश के मुख्य सचिव हैं तथा संयोजक महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव हैं, इसकी बैठकों में भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए लेकिन आज तक उस पर कोई अमल नहीं हुआ | इस समिति की अंतिम बैठक 2005 में हुई थी |
जहाँ तक अनुदान राशि का सवाल है, तो वह इतनी कम है और उसे दिए जाने की प्रक्रिया इतनी जटिल है, कि इसके जरिए जो सहायता जुलाई महीने में मिल जानी चाहिए, वह अक्टूबर तक मिल पाती है | इस योजना को लागु हुए 19 साल हो रहे हैं, लेकिन महंगाई के हिसाब से अनुदान राशि में बढ़ोतरी नहीं हो रही है | दूसरी ओर मुख्यमंत्री के आशवासन पर दो बार बेडिया – बांछड़ा समाज के सम्मेलन भी हुए, लेकिन इन सम्मेलनों में मुख्यमंत्री या किसी मंत्री ने भी शिरकत नहीं की | इससे पता लगता है, कि देह व्यापार के दलदल में फंसे इस समुदायों और उनकी आने वाली पीड़ियों के प्रति सरकार कितनी संवेदनशील है |
जाबाली योजनान्तर्गत आश्रम शाला संचालित करने वाली अनुदान प्राप्त संस्थाएं:
१. विमुक्त जाति अभ्युदय संघ, मुरैना – 200 बच्चे
२. सत्याशोधन आश्रम, पथरिया ( सागर ) एवं छतरपुर – 100 बच्चे
३. महिला संरक्षण एवं विकास समिति, उज्जैन – 50 बच्चे
४. डॉ. अम्बेडकर शिक्षा प्रचार एवं प्रोत्साहन आश्रम शाला समिति, पचौर नरसिंहगढ़ – 150 बच्चे
५. डॉ. अम्बेडकर सर्वोदय विकास समिति, रायसेन – 50 बच्चे |