पहले देश के लिए लड़े… अब स्वयं के लिए लड़ने वाले स्वतन्त्रता सेनानी की व्यथा .
अनंत माहेश्वरी खंडवा [ म.प्र.]
देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी बाबूलाल सोनी को अब अपनी जमीन वापसी की लडाई लड़ना पड़ रही है .अपने परिवार के पैतीस सदस्यों के लिए अठारह साल पहले खरीदी जमीन को पाँच साल पहले मध्य प्रदेश ग्रह निर्माण मंडल ने नई कालोनी बनाने के लिए अधिग्रहित करने का नोटिस बाबूलाल सोनी को सन २००२ में प्राप्त हुआ .
श्री सोनी ने अपनी जमींन देने से साफ़ इनकार कर दिया .इसके बावजूद सरकारी कार्यवाही जारी रही . वे अपनी जमीन को अधिग्रहण से मुक्त करवाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर , प्रदेश के राज्यपाल बलराम जाखड व् कांग्रेश की राष्ट्रीय अध्यछ सोनिया गाँधी से मिल चुके है . जिसके आधार पर हुई लिखा – पडी के कागजात भी बाबूलाल सोनी के पास है . इसी तरह छह वर्ष बीत गये पर उनकी जमीन मुक्त नही हुई . अब वे राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मिलना चाहते है . वे कहते है की न्याय तो मै लेकर ही रहूंगा . पहले अंग्रेजो से देश के लिए लड़े थे अब अपने ही देश में अपने लिए लड़ रहा हूँ .
खंडवा शहर के हरिगंज में रहने वाले बाबूलाल सोनी ने सन १९३० में छात्र जीवन में अंग्रेजो के ख़िलाफ़ लम्बी लडाई लडी . फर्जी नाम से सेना में भरती हुए और कोर्ट मार्शल भी झेला . लाहोर जेल में एक वर्ष रहे . सरकारी तौर पर मान्यता प्राप्त इस स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का सम्मान प्रत्येक वर्ष १५ अगस्त और २६ जनवरी को करने वाली सरकार और उसके नुमाइंदो ने ही उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया . हाल ही में राज भवन भोपाल राज्यपाल के विशेष सहायक मोनिका जोशी द्वरा बाबूलाल सोनी को भेजे पत्र की पर्ति ६/५/२००८ में प्रमुख सचिव म.प्र. शासन , राजस्व विभाग , मंत्रालय को आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किया . लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई . ….. उन्होंने अपनी लडाई २० सितम्बर सन २००२ में कलेक्टर को पत्र लिखकर आरम्भ की ,उसने बाद भूअर्जन अधिकारी के समछ आपत्ति लगाई . १९ जनवरी सन २००३ में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पत्र लिखा जिसके जवाब में म.प्र. हाऊसिंग बोर्ड भोपाल से पत्र आया की शहर में आवास समस्या को कम करने तथा हितग्रहियों को उचित कीमत पर भाडा क्रय योजना के अंतर्गत आवास उपलब्ध करवाने हेतु आपकी भूमि का चयन किया जिसके प्रस्ताव को कार्यपालन यंत्री संभाग खंडवा के माध्यम से कलेक्टर को प्रस्तुत किया . और कलेक्टर कार्यालय में भू अर्जन की धारा ke तहत आपत्ति प्रस्तुत करने हेतु अवसर प्रदान किया . अब इस भूमि को अधिग्रहण से मुक्त करना मंडल स्तर पर संभव नही होता … अब तक की लडाई लड़ चुके इस स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी को सिर्फ़ राष्ट्रपति से ही उमीद है की वे उन्हें उनकी जमीन प्रदेश सरकार से वापस दिलाएंगी .