• Follow Us



नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा-2016

मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा के संरक्षण को जन-आंदोलन बनाने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 11 दिसम्बर से नर्मदा के उदगम-स्थल अमरकंटक से “नमामि देवी नर्मदे”-नर्मदा सेवा यात्रा का शुभारंभ किया गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है, जिसमें साधु-संत, जन-प्रतिनिधि और आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है।

नर्मदा सेवा यात्रा का संचालन 144 दिन में लगभग 200 सदस्यों के कोर-ग्रुप द्वारा अमरकंटक से सोण्डवा (प्रदेश में नर्मदा प्रवाह का अंतिम स्थल) से पुन: अमरकंटक तक की यात्रा के रूप में किया जायेगा। यात्रा के दौरान नर्मदा तटीय क्षेत्र में चिन्हांकित स्थानों पर संगोष्ठी, चौपाल और विविध गतिविधियाँ होंगी, जिनके जरिये जन-समुदाय को नर्मदा नदी के संरक्षण की जरूरत और वानस्पतिक आच्छादन, साफ-सफाई, मिट्टी एवं जल-संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम आदि के बारे में जागरूक किया जायेगा।

नर्मदा नदी देश की प्राचीनतम नदियों में से है, जिसका पौराणिक महत्व भी गंगा नदी के समान माना जाता है। नर्मदा अनूपपुर जिले के अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर मध्यप्रदेश, महाराष्‍ट्र और गुजरात से होकर करीब 1310 किलोमीटर का प्रवाह-पथ तय कर गुजरात के भरूच के आगे खम्भात की खाड़ी में विलीन हो जाती है। मध्यप्रदेश में नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र अमरकंटक (जिला अनूपपुर) से सोण्डवा (जिला अलीराजपुर) तक 1077 किलोमीटर है, जो नर्मदा की कुल लम्बाई का 82.24 प्रतिशत है।

नर्मदा अपनी सहायक नदियों सहित प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल का बारहमासी स्रोत है। नदी का कृषि, पर्यटन और उद्योगों के विकास में अति महत्वपूर्ण योगदान है। इसके तटीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू, गेहूँ, कपास आदि हैं। नर्मदा तट पर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन-स्थल हैं, जो देश-प्रदेश, विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। नर्मदा नदी का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक रूप से काफी महत्व है।


पूर्ण आलेख पढ़ने लिए क्लिक करें http://mpinfo.org/story/StoryDetails.aspx?StoryID=161220S1&CatId=23

-->